सुदंर और छोटी। कविता क से कबूतर। सुदंर और छोटी। कविता क से कबूतर।
ये कविता वक्त के बारे मे बताती है . ये कविता वक्त के बारे मे बताती है .
अपना अन्तिम निर्णय भी सुना दिया। काश ! तुम समझ सकती। अपना अन्तिम निर्णय भी सुना दिया। काश ! तुम समझ सकती।
कविता राष्ट्र का सम्मान है, कविता एक कवि की छोटी सी परिकल्पना है। कविता राष्ट्र का सम्मान है, कविता एक कवि की छोटी सी परिकल्पना है।
खूब हंसेगा खूब खेलेगा मां का शेर कहलाएगा। खूब हंसेगा खूब खेलेगा मां का शेर कहलाएगा।
छोटे छोटे लम्हों की खुशियां बड़ी प्यारी होती हैंं । छोटे छोटे लम्हों की खुशियां बड़ी प्यारी होती हैंं ।